जोरू का गुलाम: अकबर-बीरबल की कहानी Akbar Birbal Story Joru ka Gulam

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बहुत समय पहले की बात है, अकबर एक बहुत ही साहसी और बुद्धिमान सम्राट थे। उनके दरबार में बीरबल नामक एक विद्वान सच्चे और बुद्धिमान मनुष्य के रूप में मशहूर थे।


एक दिन अकबर ने बीरबल से एक चुनौती दी। उन्होंने कहा, "बीरबल, तुम्हें इस देश के सबसे बड़े जोरू का गुलाम बनना है। तुम्हें एक महीने के भीतर इसे मना करना होगा।"


बीरबल ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसी दिन से ही वह जोरू के पीछे पड़ गए। जोरू नामक गाँव का गुलाम बन गया था। उसने जोरू की हर आदत को बना लिया और उसके हर आदेश का पालन करना शुरू कर दिया।


बीरबल ने एक महीने तक इसी तरह से जोरू के गुलाम बने रहे। एक महीने बाद, अकबर ने बीरबल को बुलवाया और पूछा, "बीरबल, क्या तुमने मेरी चुनौती स्वीकार की है और जोरू का गुलाम बनने में कैसा अनुभव किया?"


बीरबल ने हंसते हुए कहा, "महाराज, जोरू का गुलाम बनना मेरे लिए बहुत शिक्षाप्रद अनुभव रहा है। लेकिन मुझे यह भी अनुभव हुआ है कि जोरू का सच्चा गुलाम तो मैं नहीं हो सकता।"


अकबर ने हैरान होकर पूछा, "क्या तुम इसे मना करने का इरादा कर रहे हो?"


बीरबल ने कहा, "नहीं, महाराज, मैं तो यह कहना चाहता हूँ कि एक अच्छा शासक हमेशा अपने जनता के साथ रहता है और उनकी सुनता है। गुलाम बनना अच्छा है, लेकिन सच्चा शासक हमेशा अपने लोगों के साथी होता है।"


अकबर ने बीरबल की बुद्धिमत्ता की सराहना की और उसने समझा कि अच्छे शासक वह होते हैं जो अपने लोगों की सुनते हैं और उनके साथी बनते हैं। 


कहानी से सीख –

यह सिखा किअच्छे शासक वह होते हैं जो अपने लोगों की सुनते हैं और उनके साथी बनते हैं। 





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