हरे घोड़े की कहानी: Akbar Birbal Story Green Horse

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एक दिन राजा अकबर ने बीरबल से कहा, "बीरबल, मुझे एक हरा घोड़ा चाहिए. और उस घोड़े की एक खासियत यह होनी चाहिए कि वह इतना हरा हो कि सबकुछ उसके सामने हरा नहीं दिखाई दे."


बीरबल ने हंसते हुए कहा, "जी हुज़ूर, इस पर ध्यान देने में मुझे थोड़ी देर लगेगी."


कुछ दिनों बाद, बीरबल ने राजा को एक बड़े सुंदर हरे घोड़े को प्रस्तुत किया. राजा बहुत हुशियार था और वह पूछता है, "यह हरा घोड़ा बहुत खास है, इसकी खासियत क्या है?"


बीरबल मुस्कराते हुए जवाब देते हैं, "हुज़ूर, इस घोड़े को इतना हरा बनाने के लिए, मैंने उसे हरे घास के मैदान में बारिश के दिन खड़ा कर दिया था. इससे उसकी चारओं तरफ हरा हरा बन गया है."


राजा ने हंसते हुए कहा, "तुम तो सचमुच में होशियार हो, बीरबल. इसे लेकर मुझे कोई शक नहीं था कि तुम मुझे एक हरा घोड़ा दिखा सकोगे."


बीरबल ने कहा, "हुज़ूर, होशियारी तो इसमें नहीं है कि घोड़ा हरा हो, बल्कि होशियारी तो इसमें है कि हमें उसे हरे घास के मैदान में खड़ा करना पड़ा."


Conclusion:

राजा ने बीरबल की बुद्धिमत्ता की सराहना की और इसका मतलब समझा कि बुद्धिमत्ता और सोच-समझकर ही कोई कार्य सही तरीके से हो सकता है.




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