Option trading basics for beginners in hindi– शेयर मार्केट में बहुत सारे beginners हैं जो ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते हैं और ज्यादातर लोगों का नुकसान ही होता है। इसका सबसे बड़ा यह कारण है कि लोगों को ऑप्शन ट्रेडिंग के basics ही पता नहीं होते और ना ही उन्हें ऑप्शन ट्रेडिंग की पूरी knowledge होती है फिर भी ऑप्शन्स में खूब सारा पैसा लगाकर ट्रेड करने की गलती करते हैं जिसके कारण अधिकतर लोगों को नुकसान होता है।
दूसरी गलती लोग यह करते हैं कि जो कॉल या पुट ऑप्शन सस्ते होते हैं उन्हें खरीद लेते हैं मतलब जिन ऑप्शंस के प्रीमियम का प्राइस कम होता है उन्हें buy करने की गलती करते हैं और बाद में पछताते हैं।
तो अगर आप भी ऑप्शन ट्रेडिंग में अपने नुकसान को खत्म करके प्रॉफिट कमाना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के basics सीखना होगा क्योंकि अगर आपको बेसिक चीजें ही नहीं पता होगी तो आप कभी भी एक सफल ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन पाएंगे।
इसीलिए आज इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM, ATM और OTM क्या होते हैं? इनकी Full Form क्या होती है, यह सभी कैसे काम करते हैं और इनमें से कौन सा ऑप्शन खरीदना ज्यादा फायदेमंद होता है.
दोस्तों अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में beginner है तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत उपयोगी होगी. इसीलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढियेगा क्योंकि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके ऑप्शन ट्रेडिंग से संबंधित बहुत सारे basic concepts क्लियर हो जाएंगे।
तो आइए अब सबसे पहले जानते हैं कि–
इस पोस्ट में आप जानेंगे-
ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM, ATM, OTM क्या हैं?
Option Trading Basics in Hindi
Option Trading for beginners in hindi (ITM, ATM, OTM meaning in hindi)
ITM, ATM, OTM में से क्या ज्यादा अच्छा है?
ITM ATM OTM which is better in hindi–
Option Trading Book in Hindi
FAQ’s (What is ITM, ATM and OTM in option trading in hindi)
ITM, ATM और OTM में से कौन सा ऑप्शन खरीदना चाहिए?
ITM और OTM में से कौन सा ऑप्शन ज्यादा फायदेमंद है?
ITM, ATM और OTM में से किसमे अधिक पैसे देने पड़ते हैं?
Conclusion (ITM, ATM and OTM meaning in hindi)
ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM, ATM, OTM क्या हैं?
शेयर मार्केट में ITM, ATM और OTM अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होते हैं जो Call या Put कुछ भी हो सकते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM का मतलब इन द मनी, OTM का मतलब आउट द मनी और ATM का मतलब एट द मनी होता है।
आप आईटीएम, एटीएम और ओटीएम पर Call option (CE) भी खरीद सकते हैं और Put option (PE) भी। इन तीनों ही option contracts में प्रीमियम के prices अलग-अलग होते हैं, ऐसा क्यों होता है इसके बारे में हम आगे बात करने वाले हैं।
समझ लें कि शेयर बाजार में ITM, ATM और OTM अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस (Strike Price) के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (Option contract) होते हैं जो कॉल (Call) या पुट (Put) कुछ भी हो सकते हैं. कोई भी आईटीएम, एटीएम और ओटीएम पर Call option (CE) भी खरीद सकते हैं और Put option (PE) भी खरीद सकते हैं. इन तीनों ही ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट (option contracts) में प्रीमियम के prices अलग-अलग होते हैं, ऐसा क्यों होता है इसके बारे में हम आगे बात करने वाले हैं.
ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग
सबसे पहले ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में थोड़ी बात कर लेते हैं. ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन बाइंग या फिर ऑप्शन सेलिंग की जाती है. अगर ऑप्शन बाइ किया जाता है तो ऑप्शन बायर कहलाते हैं और अगर ऑप्शन सेल करते हैं तो ऑप्शन सेलर कहलाते हैं. ऑप्शन ट्रेडिंग में ज्यादातर ट्रेडर (करीब 80 फीसदी तक) ऑप्शन बाइंक करते हैं और सिर्फ 20 फीसदी ऑप्शन सेलिंग करते हैं.
ऑप्शन बायर की संख्या ज्यादा होने का कारण यह है कि ऑप्शन बाइंग कोई भी कर सकता है क्योंकि यह बहुत ही कम पैसों में हो जाती है. वहीं, ऑप्शन सेलिंग में लाखों रुपये की आवश्यकता होती है. यहां एक बात और समझने की है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में 80% पैसा सिर्फ ऑप्शन सेलर कमाते हैं जबकि सिर्फ 20 प्रतिशत ऑप्शन बायर ही पैसा कमाते हैं. जाहिर सी बात है जो ज्यादा पैसा लगाएगा वो ज्यादा पैसा कमाएगा.
ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर की सोच एक दूसरे से बिल्कुल जुदा होती है. ऑप्शन ट्रेडिंग में एक ट्रेडर का केवल तभी फायदा होगा जब दूसरे का नुकसान होगा. यहां यह समझ लें कि जहां ज्यादा फायदा है वहां पर ज्यादा रिस्क भी है. यहां पर नुकसान भी बड़ा होता है. यानी option buying हो या option selling दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं.
एक और जरूरी बात जब बाजार ऊपर जाता है तो call option यानी CE खरीदने पर फायदा होता है और अगर मार्केट नीचे जाता है तो put option PE खरीदने पर फायदा होता है. वहीं, option selling में इसका बिल्कुल उल्टा होता है. यदि मार्केट ऊपर जाएगी तो PE को sell करेंगे और यदि लगता है कि मार्केट नीचे जाएगा CE को sell करेंगे.
अब हम वापस ITM, ATM, OTM को समझते हैं.
एक उधाहरण के तौर पर यहां समझें. मानें कि अभी बैंकनिफ्टी 42000 पर चल रहा है मतलब banknifty का spot price 42000 है. तो यहां से सिर्फ दो चीजें हो सकती हैं या तो banknifty ऊपर जाएगा या फिर banknifty नीचे जाएगा. अगर बैंकनिफ्टी ऊपर जाएगा तो कॉल ऑप्शन यानी CE खरीदेंगे. कोई भी ब्रोकर ऐप जिसका ट्रेडर इस्तेमाल करते हैं वहां पर F&O वाले सेक्शन में जाकर ‘BANKNIFTY 42000 CE' टाइप किया जा सकता है. नीचे banknifty 42000 के सभी कॉल ऑप्शन (CE) मिलेंगे. साथ ही इसकी expiry भी दिखेगी. इस कॉल ऑप्शन पर देखना होगा कि कितना प्रीमियम है. अमूमन देखा जाता है कि कोई यहां बैंकनिफ्टी के करंट प्राइस (42000) से ऊपर (OTM पर) जाते हैं तो प्रीमियम के प्राइस कम होते जाते हैं और नीचे (ITM पर) जाने पर प्रीमियम के प्राइस बढ़ते जाते हैं.
अगर banknifty 42000 पर चल रहा है तो यह ATM यानी AT THE MONEY ऑप्शन है, 42000 से नीचे (41900, 41800, 41700….) जितने भी ऑप्शन होंगे वे सभी ITM यानी IN THE MONEY ऑप्शन कहलाएंगे. और 42000 से ऊपर (42100, 42200, 42300….) जितने भी ऑप्शन होंगे वे सभी OTM यानी OUT THE MONEY ऑप्शन कहलाएंगे.
अब समझ गए होंगे कि NIFTY, BANKNIFTY या किसी स्टॉक का करंट स्ट्राइक प्राइस होता है वह एटीएम (ATM) कहलाता है, उससे नीचे के सभी स्ट्राइक प्राइस आईटीएम (ITM) और उससे ऊपर के सभी स्ट्राइक प्राइस ओटीएम (OTM) कहलाते हैं.
लॉट में होता है ट्रेड
एक और जरूरी बात. जब ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है तो Lot में शेयर खरीदने पड़ते हैं जैसे– बैंक निफ्टी का एक lot 25 का होता है. यानी किसी को ट्रेड लेना है तो कम से कम 1 लॉट यानी 25 यूनिट खरीदनी होगी. वहीं, Nifty का 1 लॉट में 50 यूनिट का होता है. यानी निफ्टी में ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए कम से कम 50 यूनिट खरीदना होगा .
मतलब साफ है कि Banknifty का 42000 का ATM कॉल ऑप्शन 269 रुपये का है तो इसे खरीदने के लिए 269×25 = 6725 रुपये देने होंगे. एक बार फिर बता दें कि ऑप्शन ट्रेडिंग में जितना ज्यादा पैसा लगाएंगे उसमें Risk और Reward दोनों ही उतने ही ज्यादा होंगे.
प्रीमियम को समझ लें
अगर प्रीमियम की बात की जाए तो ITM में सबसे ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है, ATM में इससे कम और OTM खरीदने के लिए सबसे कम पैसा देना पड़ता है. यह भी जान लें कि सबसे अधिक रिस्क ITM में होता है, उससे कम ATM में और सबसे कम रिस्क OTM में होता है. सबसे अधिक रिवॉर्ड ITM में होता है. उससे कम ATM में और सबसे कम मुनाफा OTM में मिलता है.
FAQs
एटीएम खरीदना बेहतर है या ओटीएम ऑप्शन?
एक दूसरे से बेहतर नहीं है. बल्कि, एक विकल्प श्रृंखला में विभिन्न स्ट्राइक कीमतें सभी प्रकार के व्यापारियों और विकल्प रणनीतियों को समायोजित करती हैं। जब आईटीएम या ओटीएम विकल्प खरीदने की बात आती है, तो चुनाव अंतर्निहित सुरक्षा, वित्तीय स्थिति और आप क्या हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, इसके लिए आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
शेयर बाजार में एटीएम और आईटीएम क्या है?
यदि बाजार मूल्य स्ट्राइक मूल्य से ऊपर है तो कॉल ऑप्शन इन द मनी (आईटीएम) है। यदि बाजार मूल्य स्ट्राइक मूल्य से कम है तो पुट विकल्प पैसे में है। एक विकल्प आउट ऑफ द मनी (ओटीएम) या एट द मनी (एटीएम) भी हो सकता है।
आईटीएम का मतलब क्या होता है?
'इन द मनी' एक ऐसा शब्द है जो महान या रखने वाले विकल्प को संदर्भित करता हैआंतरिक मूल्य मेंमंडी.
आईटीएम या ओटीएम खरीदने के लिए सबसे अच्छा कौन सा है?
आईटीएम विकल्पों में प्रीमियम लागत अधिक होती है लेकिन समाप्ति तक पैसे खत्म होने की संभावना भी अधिक होती है। ओटीएम विकल्प सस्ते हैं लेकिन लाभ की संभावना कम है । व्यापारियों को ट्रेडऑफ़ पर विचार करना चाहिए। कम प्रीमियम लागत के कारण ओटीएम विकल्प अधिक लाभ प्रदान करते हैं।
शेयर मार्केट में कितना टैक्स कटता है?
अगर खरीद और बिक्री किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर की गई है और इस पर STT दिया गया है तो STCG 15% लगता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 1 दिन से ज्यादा और 12 महीने से कम के निवेश पर लगता है।
शेयर मार्केट के लिए कौन सा अकाउंट?
सेबी के नियमों के अनुसार, स्टॉक मार्केट में शुरुआत करने के लिए डीमैट अकाउंट खोलना जरूरी है।
मुझे एटीएम ऑप्शन कब खरीदना चाहिए?
जब कोई व्यापारी किसी स्टॉक में बड़े उतार-चढ़ाव की उम्मीद करता है तो एटीएम विकल्प सबसे आकर्षक होते हैं।
कॉल एंड पुट ऑप्शन क्या है?
कॉल विकल्प खरीदार को समाप्ति तिथि पर पूर्व-निर्धारित मूल्य पर किसी विशेष स्टॉक को खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन कोई दायित्व नहीं। पुट ऑप्शन किसी निवेशक को समाप्ति तिथि पर पूर्व निर्धारित दर पर किसी विशेष स्टॉक को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
ऑप्शन का प्राइस कब बढ़ता है?
वोलैटिलिटी ऑप्शन की कीमतों में एक फैक्टर है। जैसे ही वोलैटिलिटी बढ़ती है, ऑप्शन की कीमतों में वृद्धि होती है अगर स्टॉक की कीमत और एक्सपायरी टाइम जैसे अन्य फैक्टर कांस्टेंट रहते हैं।
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