परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया? | Parshuram And Karna Story In Hindi

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Parshuram And Karna


हालांकि वेदव्यास की भारत के महाकाव्य "महाभारत" में इस कथा का वर्णन है, कृपया ध्यान दें कि कथा के विभिन्न संस्करणों में छोटी-बड़ी विभिन्नताएँ हो सकती हैं। निम्नलिखित एक संभावित संस्करण दिया जा रहा है:


महाभारत के अनुसार, कर्ण परशुराम जी के शिष्य बनने के लिए आग्रह करते थे, परंतु वह अपनी असमर्पितता के कारण छुपा हुआ रहता था। एक दिन, कर्ण ने अपने पैर की एक छाल के बारे में असत्य बोला और कहा कि यह एक पथर की चोट से हुई है।


परशुराम, जो भगवान शिव के भक्त थे और जानते थे कि केवल शिवधनुष के ज्ञान वाला ही इसे बना सकता था, ने कर्ण की बात को बहुत बार असत्य साबित होने पर खुलासा किया।


परशुराम ने इसका उदाहरण देने के लिए कर्ण के पैर की छाल को पथर से छूने के लिए विनम्रता से बुलाया। कर्ण ने बहुत कोशिश की, परंतु छाल छूने में असमर्थ रहा। इसके बाद, परशुराम ने उससे अपने असली गुरुकुल का नाम बताने को कहा और खुद उसे बाहर निकाल दिया।


इस पर कर्ण ने आत्मघात किया कि वह ब्राह्मण नहीं है, और उसका असली परिचय सूतपुत्र कर्ण है। इस पर परशुराम ने कर्ण पर रोषित होकर उसे श्राप दिया कि वह अपने सबसे महत्वपूर्ण शस्त्र ब्रह्मास्त्र का ज्ञान भूल जाएगा, जिससे उसकी मृत्यु अनिवार्य हो जाएगी।


यह घटना महाभारत के कुछ संस्करणों में प्रस्तुत है, लेकिन यह धारात्म्य विभिन्न संस्करणों में अलग-अलग हो सकती हैं। 


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