अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियों और उनसे होने वाले चार पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन भगवान राम की बड़ी बहन के बारे में हर किसी को नहीं पता। वाल्मीकि रामायण में भी राम की बहन शांता के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन दक्षिण पुराण में भगवान राम की बहन शांता का इतिहास जरूर मिलता है।
भगवान राम की बहन शांता का सच यह है कि शांता राम की बड़ी बहन और माता कौशल्या की बेटी थी। वह बहुत ही सुन्दर और हर कार्य में निपुण थी। शास्त्र से लेकर पाक कला तक में एकदम पारंगत।
वहीं, रानी कौशल्या की बहन थी रानी वर्षिणी, जिनका विवाह अंगदेश के राजा रोमपद के साथ हुआ था। दुर्भाग्य की बात यह थी कि किन्हीं कारणों उनकी कोई भी सन्तान न हो सकी। एक दिन वर्षिणी राजा रोमपद के साथ कौशल्या से मिलने अयोध्या आई। जब सभी एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे, तभी वर्षिणी ने दशरथ की पुत्री शांता की शालीनता और कार्यकुशलता से मोहित होकर अपनी एक इच्छा प्रकट की। वर्षिणी ने कहा, “वैसे तो मेरी कोई भी सन्तान नहीं है, लेकिन मेरी इच्छा है कि शांता की तरह ही मेरी भी एक पुत्री हो।”
वर्षिणी की इस बात पर राजा दशरथ उन्हें शांता को गोद देने का वचन दे देते हैं। इस प्रकार राजकुमारी शांता अंगदेश के राजा रोमपद की पुत्री बन जाती है। एक दिन राजा रोमपद किसी काम में इतना खोये रहते हैं कि उनकी चौखट पर आए ब्राह्मण की आवाज उन्हें सुनाई ही नहीं देती। फलस्वरूप, ब्राह्मण को खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है। देवराज इंद्र को राजा रोमपद द्वारा किया गया ब्राह्मण का यह अपमान जरा भी रास नहीं आता। वह अंगदेश में वर्षा न करने का निश्चय कर लेते हैं।
ऐसे में बिना वर्षा अंगदेश में सूखा पड़ जाता है। इस वजह से अकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। इस समस्या से उबरने के लिए राजा रोमपद ऋषि श्रंग के पास जाते हैं और उनसे इस समस्या का उपाय पूछते हैं। ऋषि राजा को यज्ञ कराने की सलाह देते हैं, जिससे रूठे इंद्र देव को मनाया जा सके। राजा रोमपद ऐसा ही करते हैं और यज्ञ के बाद अंगदेश में पुनः वर्षा होती है। इससे अंगदेश में आई समस्या का अंत होता है। ऋषि श्रंग से प्रसन्न होकर राजा रोमपद उनसे अपनी पुत्री शांता का विवाह करा देते हैं।
शांता के बाद राजा दशरथ के कोई सन्तान नहीं थी। इसके लिए वह बहुत ही चिंतित रहते थे। इसी कारण वह भी ऋषि श्रंग के पास जाते हैं। ऋषि श्रंग उन्हें कामाक्षी यज्ञ कराने की सलाह देते हैं। ऋषि के कहे अनुसार राजा दशरथ कामाक्षी यज्ञ संपन्न कराते हैं और प्रसाद के रूप में खीर बनवाते हैं। यज्ञ समाप्त होने के बाद जो खीर का प्रसाद था, उसे राजा दशरथ की तीनों पत्नियां कौशल्या, सुमित्रा और कैकई ग्रहण करती हैं।
कामाक्षी यज्ञ के प्रताप से रानी कौशल्या को पुत्र के रूप में राम, कैकई को भरत और सुमित्रा को लक्ष्मण व शत्रुघ्न की प्राप्ति होती है। चारों पुत्रों को अपनी बहन शांता के बारे में कुछ भी मालूम नहीं होता है। समय के साथ धीरे-धीरे राम को अपनी माता के दुख का पता चलता है। साथ ही भगवान राम की बहन शांता के जीवन का सच, जो कोई नहीं जानता था, राम को मालूम हो जाता है। बहन शांता के बारे में जानने के बाद राम अपनी मां को बहन शांता से मिलवाते हैं और सभी पुराने मतभेदों को दूर कर एक साथ रहने का वचन देते हैं।
ऐसे ही रोचक कहानियां पढ़ने के लिए जुड़े रहिए My Radio Ebook से।
Read More:
***********************************************************************************
यदि ज़्यादा कहानी पढ़ना चाहते है तो इस Book को यहां से खरीद सकते है।
Buy Book Amazon Link - https://amzn.to/4bHq7F9
*******************************************************
****************************************************************
संसार में सबसे बड़ी चीज: अकबर-बीरबल की कहानी - Akbar Birbal Story Biggest Thing
जोरू का गुलाम: अकबर-बीरबल की कहानी Akbar Birbal Story Joru ka Gulam
मुर्गी पहले आई या अंडा: अकबर-बीरबल की दिलचस्प कहानी Akbar Birbal Story Egg or Cock
हरे घोड़े की कहानी: Akbar Birbal Story Green Horse
प्यासा कौआ - Ek Pyase Kauve Ki Kahani (2nd Version)
क्या लड़कियों को स्वतंत्रता देनी चाहिए? Empowering Girls
हर महीने 1 करोड़ रुपए कैसे कमा सकते हैं? How to Earn 1 Crore Monthly
कर्ण और दुर्योधन की मित्रता | Duryodhan Karan Ki Mitrata
क्यों मनाते हैं वैलेंटाइन डे? Reasons and Valentine Tips
Post a Comment
0Comments